Bhartiya sanvidhan ke itihaas, भारतीय संविधान के विकास का इतिहास, संविधान का इतिहास

भारतीय संविधान के विकास का इतिहास

भारतीय संविधान के विकास (Bhartiya sanvidhan ke Vikas) में जिन राजनीतिक संस्थाओं को स्थापित किया गया है, उनका विकास ब्रिटिश शासन के 200 वर्षों के लंबे शासनकाल के दौरान हुआ. अंग्रेजों ने भारत में में से 1947 तक राज किया और उनके शासनकाल में समय-समय पर भारतीय शासन व्यवस्था में अनेक परिवर्तन किए गए 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ और उसके बाद भारतीय गणतंत्र के संविधान का निर्माण हुआ, जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। ब्रिटिश शासन के दौरान हुए भारतीय संविधान के विकास का इतिहास(History of development of Indian constitution in hindi) को दो चरणों में बांटा जा सकता है:-

1. ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल के अंतर्गत हुए संवैधानिक विकास (1765 ई. से 1857 ई. तक)


2. ब्रिटिश क्रॉउन के शासनकाल के अंतर्गत हुए संवैधानिक विकास (1858 ई. से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक)

दूसरे चरण में भारत में प्रतिनिधि और उत्तरदाई सरकार की स्थापना की शुरुआत हुई. इन दोनों चरणों में ब्रिटिश संसद द्वारा अनेक अधिनियम पारित किए गए जिनका वर्णन नीचे किया गया है-


भारतीय संविधान का इतिहास क्रम


1773 : रेगुलेटिंग एक्ट 

  • प्रशासनिक नीति के बारे में प्रथम व्यवस्थित दस्तावेज.
  •  इस एक्ट के द्वारा बंगाल का गवर्नर जनरल, बंगाल, मद्रास वह मुंबई तीनों प्रेसिडेंसी यों का गवर्नर जनरल बना.
  •  प्रथम गवर्नर जनरल 'वारेन हेस्टिंग्स' बना.

  • इस एक्ट में गवर्नर जनरल की परिषद थी, जिसमें 4 सदस्य थे तथा निर्णय बहुमत से किए जाते थे और निर्णाय की स्थिति नहीं होने पर गवर्नर जनरल अंतिम मत देने का अधिकार था.

  • परिषद गवर्नर जनरल ब्रिटेन में स्थित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के प्रति जिम्मेदार थे.
  • इस प्रकार ब्रिटिश संसद ने कंपनी के प्रशासनिक कार्यों पर नियंत्रण स्थापित किया.

1784 : पिट्स इंडिया एक्ट 

  •  पिट्स इंडिया एक्ट के अंतर्गत 16 सदस्य नियंत्रक मंडल की स्थापना ब्रिटेन में की गई.
  •  इस प्रकार पिट्स इंडिया एक्ट के द्वारा दोहरे नियंत्रण की शुरुआत हुई- 

      i. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (Board of directors) - कंपनी के व्यापारी कार्यकलापों के नियंत्रण हेतु.

      ii. नियंत्रक मंडल कंपनी (Board of control company)- कंपनी के राजनीतिक कार्यकलापों को नियंत्रण करने हेतु.

चार्टर एक्ट 1813 :-

  •  चार्टर एक्ट 1813 के तहत कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार सिर्फ दो ही क्षेत्रों में बचा.

      i. चीन के साथ व्यापार करना

      ii. चाय के व्यापार करना

  •  मिशनरियों को भारत में धर्म प्रसार की छूट दी गई.

चार्टर एक्ट 1833 :-

  • बंगाल का गवर्नर जनरल भारत का गवर्नर जनरल बना.
  • सपरिसद गवर्नर जनरल को प्रशासन, विधि व वित्तीय क्षेत्रों में सर्वोच्च निर्णायक निकाय बना दिया गया इस प्रकार प्रशासनिक केंद्रीकरण की शुरुआत की गई.
  • कंपनी की व्यवसायिक गतिविधियों को बंद करके उससे ब्रिटिश भारत का राजनैतिक अंग बना दिया गया.
  • पूरे भारत के लिए एक बजट का प्रावधान किया गया
  • कंपनी के प्रशासनिक पदों पर भारतीयों की नियुक्ति की शुरुआत की गई.

चार्टर एक्ट 1853 :-

  • सिविल सर्विस के लिए खुली प्रतियोगिता परीक्षा की शुरुआत की गई.
  • गवर्नर जनरल की विधि व कार्यकारी कार्यों को पृथक किया गया.
  • बंगाल के लिए अलग से एक अलग से जनरल नियुक्त करके भारत के गवर्नर जनरल को उसकी जिम्मेवारी से मुक्त किया गया.

1858 : भारत सरकार अधिनियम 

  • कंपनी के शासन को करा उनके शासन से बदल दिया गया.
  • एक भारत सचिव की नियुक्ति की गई जो क्रॉउन की शक्तियों को लागू करता था.
  • गवर्नर जनरल 'वायसराय' कहा जाने लगा. वह भारत में क्रॉउन की प्रतिनिधि था.

1861 : भारत परिषद अधिनियम 

  • वायसराय ने विधि व नियम बनाने की शक्ति मुंबई व मद्रास गवर्नरओं को सौंपकर शक्तियों के विकेंद्रीकरण की शुरुआत की.
  • लॉर्ड कैनिंग ने विभागीय प्रणाली की शुरुआत की.
  • अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी अलग-अलग लोगों को सौंपी गई, इस प्रकार मंत्रिमंडल प्रणाली की शुरुआत भी इस एक्ट से हुई.

1892 : भारतीय परिषद अधिनियम  

  • परिषद के सदस्यों को परिषद के कार्यकलापों के बारे में प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया.
  • वायसराय की परिषद के सदस्यों की संख्या को 10 से 16 के मध्य निश्चित किया गया कुछ सदस्यों के चुनाव विश्वविद्यालय व स्थानीय निकायों से किया गया.

1909 : भारतीय परिषद अधिनियम

  • भारतीय परिषद अधिनियम 1909 को मार्लो मिंटो सुधार अधिनियम भी कहा जाता है.
  • मुस्लिमों के लिए पृथक सांप्रदायिक निर्वाचन की व्यवस्था की गई.
  • वायसराय की परिषद के सदस्यों को बजट पर प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया किंतु बजट पर वोटिंग का अधिकार अभी भी नहीं मिला था.

1935 : भारत सरकार अधिनियम 

  • भारत सरकार अधिनियम 1935 को मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधारों के नाम से भी जाना जाता है मोंटेग्यू भारत के सचिव थे जबकि चेम्सफोर्ड वायसराय थे.
  • भारत सचिव के सहयोग के लिए ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त की नियुक्ति की गई.
  • प्रशासनिक विषयों को दो भागों में विभक्त किया गया-

       i. आरक्षित विषय - अपूर्णता वायसराय के  नियंत्रण में था.

       ii. स्थानान्तिरत विषय - यह विषय से संबंधित विभागों के मंत्री के अधीन था.

1940 : अगस्त प्रस्ताव 

  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए Lord linlithgow ने 8 अगस्त 1940 को एक प्रस्ताव रखा जिसे 'अगस्त प्रस्ताव' कहा जाता है.
  • अगस्त प्रस्ताव में यह कहा गया कि युद्ध के बाद भारतीयों की एक समिति बनाई जाएगी जो भारतीय संविधान की रूपरेखा निश्चित करेगी.
  • वायसराय ने कौंसिल में कुछ और भारतीयों को शामिल करने की भी घोषणा अगस्त प्रस्ताव में की थी.
  •  अगस्त प्रस्ताव को कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया.

1942 : क्रिप्स मिशन 

  • क्रिप्स मिशन ने भारत में विभिन्न दलों और जनता के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श करने के पश्चात एक संविधान निर्मात्री सभा के गठन का सुझाव दिया जो प्रांतीय विधायिका के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार चुनी जाएगी.
  • नए संविधान को प्रांत या देशी रियासत स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए स्वतंत्र होंगे जिन्हें यह स्वीकार नहीं होगा वह अलग से संविधान बना सकेंगे.
  • क्रिप्स मिशन प्रस्ताव को सभी दलों ने अस्वीकार कर दिया अंततः 11 अप्रैल 1942 को क्रिप्स मिशन प्रस्ताव वापस ले लिया गया.

1946 : कैबिनेट मिशन

  • 24 मार्च 1946 को ब्रिटिश मंत्रिमंडल के 3 सदस्य - i. पैथिक लोरेंस  ii. सर स्टेफोर्ड क्रिप्स iii. एबी अलेक्जेंडर को भारत की संवैधानिक समस्या के संविधान के लिए भारत भेजा गया. इसे 'कैबिनेट मिशन' के नाम से जाना गया.
  • 16 मई 1946 को प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कैबिनेट मिशन ने भारत का एक संघ बनाए जाने का सुझाव दिया जिसमें देशी रियासत और ब्रिटिश भारतीय प्रांत दोनों सम्मिलित हो.
  • अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों के पास हो.
  • संघ की कार्यकारिणी तथा विधानमंडल में ब्रिटिश भारत और देसी रियासतों के प्रतिनिधि दोनों सम्मिलित हो.
  • एक संविधान सभा का गठन हो जिसमें कुल 379 सदस्य हो।
  • प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या पर एक सदस्य चुना जाए.
  • 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुन लिया गया.

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1947  : माउंटबेटन योजना

  • 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री इटली ने घोषणा की कि जून 1948 से पहले अंग्रेज भारत छोड़ देंगे तथा सत्ता भारतीयों को सौंप दी जाएगी.
  • माउंटबेटन योजना को का रूप देने के लिए 22 मार्च 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन को वायसराय बनाकर भेजा गया.
  • माउंटबेटन योजना में भारत और पाकिस्तान के लिए अलग-अलग संविधान सभा के गठन की घोषणा की गई.

1947 : भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम

  • माउंटबेटन योजना के आधार पर ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया जो 15 अगस्त 1947 से प्रभावी हो गया. इसमें प्रमुख बातें शामिल थी:-

  1.  15 अगस्त 1947 को भारत तथा पाकिस्तान की स्थापना की जाएगी.
  2. नया संविधान जब तक बन ना जाए तब तक 1935 अधिनियम government of India act 1935 के माध्यम से सरकार अपना कार्य करेगी.
  3. ब्रिटिश क्रॉउन British crown का भारतीय रियासतों पर प्रभुत्व खत्म हो जाएगा.

  • भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉर्ड इटली के कार्यकाल में पारित किया गया था.
  • भारत और पाकिस्तान के लिए दो अलग संविधान सभा के गठन का प्रावधान किया गया. यह सभाएं अंतिम समय में विधायिका का भी कार्य करेगी.
  • देसी रियासतों को दोनों में से किसी एक देश में शामिल होने या स्वतंत्र रहने के विकल्प चुनने की स्वतंत्रता दी गई.

  • राज्य सचिव (secretary of India)का पद समाप्त कर दिया गया.
  • वायसराय और प्रांतीय गवर्नर केवल संवैधानिक प्रमुख रह गए.

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