Indian Citizenship meaning hindi what is India citizenship भारतीय नागरिकता किसे कहते है
नागरिकता क्या है?
भारतीय नागरिकता की अर्थ एवं परिभाषा


नागरिकता किसे कहते है? नागरिकता का अर्थ एवं परिभाषा

Citizenship meaning in Hindi) दोस्तों, नागरिकता के बारे में आप सभी के मन में कुछ सवाल पैदा हो रहे होंगे जो आप जानना चाहते हैं जैसे कि नागरिकता किसे कहते हैं? । नागरिकता का अर्थ और परिभाषा, अनुच्छेद- 5 से 11 (नागरिकता) में क्या है? भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के प्रावधान, तो इसका जवाब इस आर्टिकल मे विस्तार में मिलने वाला है जो आपके प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछने के लिए जाते हैं जो आपको जानना बहुत जरूरी हो जाता है चलिए हम आज के नागरिकता के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं। 


नागरिकता का अर्थ (Citizenship meaning in Hindi) :-

दुनिया भर के प्रत्येक व्यक्ति वह किसी-न-किसी देश या राज्य की नागरिक है। नागरिकता स्थिति वह है, जिसमें किसी भी व्यक्ति राजनीतिक समुदाय का सदस्य होता है, वह सार्वजनिक जीवन में भाग लेता है, राज्य के प्रति निष्ठा रखता है और सरकार द्वारा उसे संरक्षण दिया जाता है।

अरस्तु के अनुसार नागरिक वह है जो किसी राज्य या नगर के किसी विचारणीय कार्य, अधिकारियों या अपना मुखिया के चुनाव में भाग लेता है। नागरिकता के संबंध में कई विचार को का अपना अलग-अलग मत है: -


नागरिकता की परिभाषा (Definition of citizenship in Hindi) :-

बैटल के अनुसार: - "नागरिक समाज का एक सदस्य है जो समाज के कर्म से आबद्घ है, सत्ता के अधीन और सभी लोगों को बराबर के अधिकारी हैं।"

ब्लैकवेल के अनुसार: - "नागरिकता का आशय एक राज्य की पूर्ण और विश्वसनीयता पूर्ण शक्ति है।"

टी. एच. मार्शल के अनुसार: - "नागरिकता किसी भी सामाजिक समुदाय की संपूर्ण सदस्यता के साथ जुड़ी हुई प्रतिभूति है और जिसे यह प्रतिफल हासिल हो गया है वह नागरिक है।"

लॉस्की के अनुसार:- "अपनी शिक्षित बुद्धि को लोकहित के लिए प्रयुक्त करना ही नागरिकता है"


नागरिकता के संबंध में संविधान में प्रावधान (Provisions in the constitution regarding citizenship): - 

संविधान के भाग-2, के अनुच्छेद -5 से 11 तक में नागरिकता के संबंध में प्रावधान किया गया है:-


भाग- 2 के अनुच्छेद -5 से 11 में क्या है?

अनुच्छेद -5 के अनुसार संविधान के आरंभ होने पर प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक होगा जिसका भारत में निवास है और वह भारत में जन्मा हो या उसके माता-पिता में कोई भारत में जन्म लिया हो वाह संविधान के बनने से ठीक 5 साल पहले तक भारत का निवासी होना।

अनुच्छेद -6 पाकिस्तान से प्रवजन द्वारा आए व्यक्तियों की नागरिकता के संबंध में प्रावधान है।

अनुच्छेद -7 मे पाकिस्तान के प्रवचन करने वाले लोगों की नागरिकता के बारे में उपबंध किया गया है।

अनुच्छेद- 8 भारत में जन्मे किंतु विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों को कुछ शर्तों को पूरा करने पर नागरिकता का अधिकार प्रदान करता है।)

अनुच्छेद -9 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसकी भारत की नागरिकता समाप्त हो जाएगी।

अनुच्छेद -10 संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति और नागरिकता से संबंधित अन्य विषयों पर नियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है।

अनुच्छेद -11 भारतीय संसद ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पारित किया है जिसमें संविधान लागू होने के पश्चात नागरिकता प्राप्त करने और उसके समाप्त होने के संबंध में प्रावधान है।


भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का प्रावधान (Provision for obtaining Indian citizenship) :-

26 जनवरी, 1950 के बाद भारतीय नागरिकता की प्राप्ति कैसे होगी? भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार निम्नलिखित में से किसी एक आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है:-


1. जन्म से नागरिकता: - प्रत्येक व्यक्ति जिसका जन्म गति लागू होने का मतलब है कि 26 जनवरी 1950 को या उसके पश्चात भारत में हुआ, वह जन्म से भारत का नागरिक होगा। अपवाद- राजनयिकों के बच्चे, विदेशियों के बच्चे।

नोट: -1986 में नागरिकता अधिनियम को संशोधित कर इसकी देन कठोर कर दी गई इसके तहत 26 जनवरी, 1950 को या उसके पश्चात भारत में जन्मे व्यक्तियों को यहां की जन्मजात नागरिकता तब प्राप्त होगी जब उनके माता-पिता भारतीय नागरिक होंगे।

नोट: - 1992 में पारित नागरिकता संशोधन विधेयक द्वारा यह व्यवस्था की गई कि भारत से बाहर पैदा होने वाले बच्चे को अगर उसकी मां भारत के नागरिक हो तो उसे भारत की नागरिकता प्राप्त होगी। इससे पूर्व भारत से बाहर पैदा हुए बच्चे को केवल उसी दशा में भारत की नागरिकता प्राप्त होती थी यदि उसके माता-पिता भारत का नागरिक हो।

2. वंश परंपरा द्वारा नागरिकता: - भारत के बाहर अन्य देश में 26 जनवरी 1950 के पश्चात जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा, यदि उनके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई भारत का नागरिक नहीं हो।

3. देशीयकरण द्वारा नागरिकता:-एक विदेशी भारत सरकार को देसीकरण के लिए आवेदन करके भारतीय नागरिकता अर्जित कर सकेगा।

4. राज्य क्षेत्र में मिल जाने से नागरिकता: - यदि किसी राज्य क्षेत्र का भारत में विलय हो जाता है तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वत: भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती हैं।

5. पंजीकरण द्वारा नागरिकता : - कई वर्गों के व्यक्ति विहित पदाधिकारी के समक्ष पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।

नोट: - नागरिकता संशोधन अधिनियम 1985 द्वारा पंजीकरण की अवधि को 6 महीने से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया गया है।

नागरिकता पंजीकरण  नियम की शर्तें (Terms and conditions):

(a) वह व्यक्ति जो पंजीकरण प्रार्थना पत्र देने की तिथि से 6 महीने पूर्व से भारत में रह रहा हो;

(b) वे भारतीय, जो अविभाज्य भारत से बाहर किसी देश में निवास कर रहे हैं;

(c) वे स्त्रियाँ, जो भारतीय से विवाह कर चुकी हैं या भविष्य में विवाह करेंगे;

(d) भारतीय नागरिकों के नाबालिक बच्चे;

(e) राष्ट्रमंडल देशों के नागरिक, जो भारत में बने रहें भारत सरकार में नौकरी कर रहे हैं आवेदन पत्र देकर भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।)


भारतीय नागरिकता की समाप्ति का प्रावधान (Provision of termination of Indian citizenship): -

भारतीय नागरिकता की समाप्ति तीन प्रकार से होती है:-

1. त्याग द्वारा :- जब कोई व्यक्ति स्वेच्छा से भारत की और किसी अन्य देश की नागरिकता धारण करता है तो उनमें से किसी एक को छोड़ सकता है।
2. प्रयावसन्न द्वारा :- जब कोई भारतीय स्वेच्छा से अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करें वैसे ही उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
3. वंचित करने पर:- भारत सरकार आदेश द्वारा किसी पंजीकृत तथा देश यकृत नागरिक को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है जिसका आधार इस प्रकार है:-

(i) भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा प्रकट नहीं करने पर;
(ii) युद्ध काल में शत्रु की सहायता करने पर;
(iii) गलत तरीके से या धोखे से नागरिकता प्राप्त करने पर;
(iv) देशीकरण या पंजीकरण द्वारा नागरिकता प्राप्त करने से 5 वर्ष के अंदर किसी अन्य देश द्वारा 2 वर्ष की सजा पाने पर;
(v) भारतीय महिला द्वारा विदेशी नागरिक से विवाह करने पर;

प्रवासी भारतीयों की दोहरी नागरिकता (Dual citizenship of NRI's):-


◾प्रवासी भारतीयों व विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को दोहरी नागरिकता प्रदान करने का मार्ग दिसंबर, 2003 में उस समय प्रशस्त हो गया जब इसके लिए आवश्यक नागरिक संशोधन विधेयक - 2003 को संसद ने दिसंबर, 2003 में पारित किया।
लक्ष्मी मल शिंघवी की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किए गए इस विधेयक को दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित किया गया।

◾ विधेयक के अंतर्गत स्वीटजरलैंड, नीदरलैंड, ब्रिटेन व संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 16 देशों में बसे भारतीय मूल के लोगों को भारत की ओवरसीज नागरिकता प्रदान करने की प्रधान है। भारतीय नागरिक, जो भविष्य में इन देशों की नागरिकता ग्रहण करते हैं, वे भी भारत की ओवरसीज नागरिकता अपने साथ रख सकेंगे।

 ◾ऐसी दोहरी नागरिकता प्राप्त करने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों को भारत में आने की स्वतंत्रता होगी. भारत में किसी संविधानिक पद को प्राप्त करने का अधिकार भी उन्हें नहीं. सर्वजनिक नौकरियों के लिए संविधान के अनुच्छेद 16 में दिए गए अवसर की समानता का अधिकार भी इन्हें प्रदान नहीं किया जायेगा।



इसे भी पढ़ें:-