राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती हैं, rajyapal ki niyukti | karya | shaktiyan avn Adhikar in Hindi
राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती हैं?


प्रिय पाठकों! माय नियर एग्जाम डॉट इन एग्जाम में आपका स्वागत है आज हम इस लेख में राज्यपाल की नियुक्ति, कार्य एवं शक्तियां पर विस्तार से चर्चा करेंगे। आज हम जानेंगे कि राज्यपाल की वास्तविक कार्य एवं शक्तियां क्या है? राज्यपाल की नियुक्ति कैसे  होती हैं? क्या होती है राज्यपाल की योग्यताएं, वेतन व भत्ते कितनी है? इन सारे सवालों का उत्तर आपको यहां मिलने वाला है  और साथ ही साथ इस लेख का PDF भी Download कर सकते हैं।

राज्यपाल की नियुक्ति, कार्य एवं शक्तियां


यदि हम राज्यपाल के अधिकारों पर नजर डालें तो हमें ऐसा लगता है कि राज्यपाल एक बहुत शक्तिशाली अधिकारी है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। हमने संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया है। जिसमें मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति उत्तरदाई होती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि पूरी शक्तियां मंत्रीपरिषद को प्राप्त है ना कि राज्यपाल को। राज्यपाल एक संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है किंतु कुछ स्थितियों में उसे इच्छा अनुसार कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है।
 

राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति

  • राज्यपाल राज्य का संवैधानिक पद है, जिसके द्वारा कार्यपालिका कार्य का संचालन होता है।

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 राज्यपाल पद की स्थिति प्रावधान करता है।

  • अनुच्छेद 154 में यह उल्लेख है कि राज्य की 'समस्त कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होगी'। जिसका प्रयोग वह संविधान के अनुसार स्वयं या अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा करेगा।
  • भारतीय संसदीय प्रणाली में राज्यपाल राज्य व्यवस्थापिका का एक अभिन्न अंग होता है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 168 (1) के तहत प्रत्येक राज्य के एक विधानमंडल होगा


राज्यपाल की योग्यताएं क्या होनी चाहिए?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 157 में राज्यपाल की नियुक्ति का उल्लेख है जिसमें निम्न योग्यताएं होना अनिवार्य है:

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह 35 वर्ष की उम्र पूरा कर चुका हो।
  • वह संसद अथवा राज्य विधानमंडल में से किसी भी सदन का सदस्य न हो।
  • वह किसी लाभ के पद न हो।
  • वह विधानसभा के सदस्य चुने जाने योग्य हो।


राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?

अब हम जानेंगे कि राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है:-

  • राज्यपाल की नियुक्ति, राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार 5 वर्षों की अवधि के लिए होती है।
  • राज्यपाल की नियुक्ति में आमतौर पर इस बात का ध्यान रखा जाता है कि नियुक्त किया जाने वाला व्यक्ति उसी राज्य का निवासी न हो, जिस राज्य में उसे नियुक्त किया जाना है।
  • किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त करते समय संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से भी परामर्श लेने की परंपरा है, लेकिन इस परंपरा को बार-बार उल्लंघन किया जाता रहा है।

नोट :- यदि राज्यपाल की मृत्यु हो जाती है या राष्ट्रपति द्वारा उसे हटा दिया जाता है, अथवा  राष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो जाता है, तो उस स्थिति में राज्य का मुख्य न्यायाधीश ने राज्यपाल की नियुक्ति तक राज्यपाल का कार्य भार संभालता है।


राज्यपाल का शपथ ग्रहण कौन दिलाता है?

राज्यपाल को शपथ ग्रहण उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिलाता है। यदि मुख्य न्यायाधीश उपस्थित न हो, तो उस स्थिति में उच्च न्यायालय के अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश के समक्ष शपथ ग्रहण दिलाया जाता है।

नोट :- भारत के संविधान में राज्यपाल को उसके पद से हटाने हेतु किसी भी प्रक्रिया का उल्लेख नहीं कियाा गया है।


राज्यपाल के कार्यकाल

  • संविधान के अनुच्छेद 156 (1) के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपना पद धारण करेगा। इसके बाद वह 5 वर्ष के कार्यकाल को पूरा करेगा। 
  • राज्यपाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 156 (2) के अनुसार कभी भी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल से पहले त्यागपत्र दे सकता है।
  • राज्यपाल 5 वर्ष के कार्यकाल पूरा होने के बाद भी प्रतिदिन वेतन के हिसाब से, वह अपने पद पर तब तक बना रहता है जब तक कि अगला उत्तराधिकारी शपथ ग्रहण न ले ले।



राज्यपाल का वेतन व भत्ते 

  • राज्यपाल को पहले 1 लाख 10 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता था लेकिन अब यह बढ़कर 3 लाख 50 हजार रुपए हो गया है । उपराष्ट्रपति के बाद सबसे ज्यादा वेतन राज्य के राज्यपाल को ही मिलता है।
  • यदि राज्यपाल दो या दो से अधिक राज्यों का एक ही राज्यपाल हो, तब उसे दोनों राज्यों का वेतन उस अनुपात में दिया जाएगा जैसा कि राष्ट्रपति निर्धारित करें। (अनुच्छेद 158 (3) के अनुसार)
  • इसके अलावा राज्यपाल को नि:शुल्क सरकारी आवास तथा अन्य ऐसे भत्ते दिए जाते हैं, जिसे संसद कानून बनाकर निर्धारित करें।



राज्यपाल की शक्तियां तथा कार्य

राज्यपाल की निम्नलिखित कार्य व शक्तियां है:

  1. कार्यपालिका संबंधी कार्य
  2. राज्यपाल की विधायी शक्तियां
  3. राज्यपाल की न्यायिक शक्तियां
  4. राज्यपाल का वित्तीय अधिकार
  5. राज्यपाल की आपात शक्तियां


कार्यपालिका संबंधी कार्य 

  • राज्य कार्यपालिका के सभी कार्य राज्यपाल के नाम से संचालित होते हैं जिसके लिए मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता है।
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा मुख्यमंत्री की सलाह से उसकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को नियुक्ति का कार्य करता है और उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
  • राज्यपाल राज्य के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों, महाधिवक्ता, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष, राज्य मानवाधिकार आयोग एवं राज्य महिला आयोग अध्यक्ष की भी नियुक्ति संबंधी कार्य करता है।
  • राज्यपाल अनुच्छेद 217 (1)  के अनुसार राज्य उच्च न्यायालय में न्यायाधीश की नियुक्ति के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
  • राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा उप कुलाधिपतियों को भी नियुक्त करता है।
  • अनुच्छेद 171 (5) के अनुसार राज्यपाल, राज्य विधान परिषद के कुल सदस्य संख्या का 1/6 भाग सदस्यों को नियुक्ति सबंधित कार्य है जिसका संबंध विज्ञान, साहित्य, कला, समाज सेवा एवं सहकारी आंदोलन आदि से हो।


राज्यपाल की विधायी शक्तियां

  • राज्यपाल विधान मंडल का एक अभिन्न अंग है। (अनुच्छेद 164 के अनुसार)
  • राज्यपाल विधानसभा का सत्र वसान करता है तथा समय-समय पर विघटन भी कर सकता है।
  • राज्यपाल की पूर्व अनुमति के पश्चात ही कोई अनुदान मांग विधानमंडल के समक्ष पेश किया जा सकता है।
  • राज्यपाल विधान मंडल द्वारा पारित किसी विधेयक को कानून का रूप दे सकता है या राष्ट्रपति की सहमति के लिए उसे रोकने भी शक्तियां है।
  • विधानमंडल का सत्र नहीं चलने  की विशेष परिस्थिति में संविधान के अनुच्छेद 213 के अनुसार राज्यपाल को अध्यादेश जारी करने का शक्ति प्राप्त है जिसे विधानसभा द्वारा 6 सप्ताह के अंदर स्वीकृत करना पड़ता है।


राज्यपाल की न्यायिक शक्तियां

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 राज्यपाल को या विशेष न्यायिक शक्ति प्रदान करता है।
  • राज्यपाल को अनुच्छेद 161 के तहत किसी अपराध के लिए साबित दोषी की सजा को क्षमा करने, विराम करने अथवा परिहार करने की शक्ति राज्यपाल को प्राप्त है उसे दंड देश के निलंबन, परिहार या सजा कम करने की शक्ति भी प्राप्त है।


राज्यपाल की वित्तीय शक्तियां

  • विधानसभा में धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जाता है।
  • राजपाल को यह शक्ति प्राप्त है कि वह प्रत्येक वित्तीय वर्ष वित्त मंत्री को विधानमंडल में वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करने को कहें।
  • राज्यपाल की संस्तुति के बिना कोई ऐसा विधेयक जो संचित निधि से खर्च निकालने की बात करता हो । वह विधानमंडल में पारित नहीं हो सकता है।


राज्यपाल की आपात शक्ति

  • राज्यपाल को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार या शक्ति प्राप्त है कि यदि राज्य का शासन संविधान के नियमों के अनुसार नहीं चलाया जाता है, तो वह राष्ट्रपति को प्रतिवेदन भेज सकता है और वह राष्ट्रपति शासन लगाने की गुहार कर सकता है।


राज्यपाल की कुछ अन्य शक्तियां

  • राज विधान मंडल द्वारा पारित विधेयक राजपाल के हस्ताक्षर के पश्चात ही कानून बन सकता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 174 राजपाल को यह शक्ति देता है कि वह व्यवस्थापिका के किसी भी सदन का अधिवेशन बुलाए और उसे संबोधित करें।
  • राज्यपाल विधानसभा को विघटन भी करने का शक्ति प्राप्त है।
  • संविधान के अनुच्छेद 175 के अनुसार राज्यपाल विधानमंडल में लंबित किसी विधेयक के संबंध में संदेश भेज सकता है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 213 के अंतर्गत विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा हो तथा किसी विशेष कानून की आवश्यकता हो तो राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है।
  • इस अध्यादेश को कानूनी सत्ता प्राप्त है, जो 6 सप्ताह तक प्रभावी रहती है इसे 6 माह के अंदर विधानसभा में स्वीकृति दिलाना आवश्यक होता है।


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