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 Maulik kartavya

मूल या मौलिक कर्तव्य


मूल या मौलिक कर्तव्य : प्रिय पाठकों! आज हम लेख के माध्यम से भारतीय संविधान के ' भाग IV क '  ' अनुच्छेद 51 क ' शामिल मूल कर्तव्य की चर्चा करेंगे। इसलिए के द्वारा हम जानेंगे आखिर मूल या मौलिक कर्तव्य की जरूरत क्यों पड़ी? | भारतीय नागरिकों के लिए मूल या मौलिक कर्तव्य कितने है ?  |  मौलिक कर्तव्य की परिभाषा एवं विशेषताएं  | साथ ही साथ आप इस लेख का मूल अथवा मौलिक का PDF भी डाउनलोड कर सकेंगे |

आखिर मूल या मौलिक कर्तव्य की जरूरत क्यों पड़ी ?

यदि मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मूल या मौलिक कर्तव्य ना जुड़े हो तो मौलिक अधिकार का कोई महत्व नहीं रह जाता यदि एक नागरिक के रूप में कर्तव्यों का निर्वाह नहीं कर सकते तो अन्य लोग अपने अधिकारों का आनंद नहीं ले सकते । इतना ही नहीं बल्कि राज्य भी हमारी रक्षा करने के लिए और हमारी आवश्यकता हो जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, मकान, पानी इत्यादि को पूरा करने के लिए अपने दायित्वों का ठीक ढंग से पालन नहीं कर सकेगा। इसीलिए भारतीय चिंतकों ने यह महसूस किया कि भारत के संविधान में मूल या मौलिक कर्तव्य को शामिल किया जाना चाहिए।

भारतीय नागरिकों के लिए मूल या मौलिक कर्तव्य 

  • मूल संविधान में भारतीय नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार तो दिए गए थे, लेकिन मूल या मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था।

  • सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान के 42 वें संशोधन 1976 के द्वारा मूल या मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया । आपको जानकारी के लिए बता दें कि मूल या मौलिक कर्तव्य सोवियत रूस के संविधान से लिया गया है।

  • इस संविधान संशोधन के द्वारा भारतीय संविधान में एक नए भाग ' भाग IV क ' जोड़ा गया। इस नए भाग में केवल एक ' अनुच्छेद 51 क ' को शामिल किया गया। किस अनुच्छेद में 10 मौलिक कर्तव्य को रखा गया ।

  • लेकिन बाद में भारतीय संविधान के 86 वें संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा मूल या मौलिक कर्तव्य में यह जोड़ा गया कि 6 से 14 वर्ष के बालकों के माता-पिता और संरक्षकों का यह कर्तव्य होगा कि वह उन्हें शिक्षा का अवसर प्रदान करें इस तरह से भारतीय संविधान में मूल कर्तव्य की संख्या अब 11 हो गया है।

मूल या मौलिक कर्तव्यों कितने हैं? maulik kartavya kitne hain

भारतीय नागरिकों के लिए 11 मूल अथवा मौलिक कर्तव्य की सूची इस प्रकार हैं :-

  1. संविधान के नियमों का पालन करें और उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का पालन करें।
  2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने और उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और पालन करें।
  3. भारत की प्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें।
  4. देश की रक्षा करें और अहवाहन किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
  5. भारत के सभी लोगों में समरता और समान मातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के समान के विरोध हो हमारे समाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें।
  6. हमारी सामाजिक संस्कृति और गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परीक्षण करें।
  7. प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत वन, झील नदी और वन्य जीव हैं रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणीमात्र के प्रति दया भाव रखें।
  8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञान अर्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
  9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
  10. व्यक्तित्व एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें।
  11. माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों लिए प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाना।

मूल या मौलिक कर्तव्य की विशेषताएं 

maulik kartavya ki visheshtaen

  • मूल या मौलिक कर्तव्य के अंतर्गत नैतिक और नागरिक दोनों प्रकार के कर्तव्य को शामिल किया गया है।  उदाहरण :  नैतिक कर्तव्य - स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करने वाले महान कर्तव्य को पालन करना । नागरिक कर्तव्य - राष्ट्रीय गान राष्ट्रीय ध्वज एवं संविधान का पालन करना नागरिक कर्तव्य है।

  • मुल या मौलिक कर्तव्य केवल भारत के नागरिकों पर लागू होता है लेकिन कुछ मूल कर्तव्य भारतीय नागरिकों के साथ है साथ विदेशी नागरिकों के लिए भी है।

  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों की तरह मूल कर्तव्य के हनन के विरुद्ध कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

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