प्रिय पाठकों! माय नियर एग्जाम डॉट इन में आपका स्वागत है पिछले लेख में आपने 'वायुमंडल किसे कहते हैं? वायुमंडल के पांच परतों' के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया था आज हम सामान्य ज्ञान भूगोल इस लेख में भूकंप किसे कहते हैं| भूकंप के प्रकार | भूकंप के कारण | भूकंप के प्रभाव एवं भूकंप से बचने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे जिससे भूकंप से संबंधित सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा।


भूकंप किसे कहते हैं? What is an Earthquake

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पृथ्वी के आंतरिक एवं बाहरी दबाव बलों के कारण ऊर्जा का ऊर्जा का निष्कासन होता है जिसके कारण तरंगों की उत्पत्ति होती है जो सभी दिशाओं में फैल कर पृथ्वी पर कंपन उत्पन्न करती है इसे ही 'भूकंप' (Earthquake) कहते हैं।

• आसान भाषा में, भूकंप का अर्थ है - पृथ्वी का कंपन होता है। वस्तुत: प्राकृतिक घटनाओं से पृथ्वी के कंपन को ही भूकंप कहते हैं लेकिन कभी-कभी माननीय कारणों से भी भूकंप आते हैं। जैसे - परमाणु परीक्षण द्वारा उत्पन्न भूकंप, भूमिगत खानों की छतों के गिरने से उत्पन्न भूकंप आदि

• ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगे उत्पन्न होती है जो सभी दिशाओं में फैल कर भूकंप लाती है प्रायः भ्रश के किनारे-किनारे ही ऊर्जा निकलती है। 

• ऊर्जा तरंगे सभी दिशाओं में गतिमान होती है वह स्थान जहां से ऊर्जा निकलती है, भूकंप का उद्गम केंद्र (Focus) कहलाता है इसे अवकेंद्र (Hypocentre) भी कहा जाता है। 

• ऊर्जा तरंगे अलग-अलग दिशाओं में चलती हुई पृथ्वी की सतह तक पहुंचती है। भूतल पर वह बिंदु जो उद्गम केंद्र के समीप होता है अधिकेंद्र (Epicentre) कहलाता है। अधिकेंद्र पर सबसे पहले तरंग को महसूस किया जाता है।

• भूकंप केंद्र के चारों ओर समान भूकंप की तीव्रता की खींची जाने वाली रेखा को 'समभूकंपी रेखा' (Isoseismal Line) कहते हैं। 


भूकंपीय तरंगे (Seismic Waves)

सामान्यता भूकंपीय तरंगों को दो भागों में विभाजित किया जाता है -

  1. भूगर्भीय तरंगे : 'P' तरंगे तथा 'S' तरंगे
  2. धरातलीय तरंगे : 'L' तरंगे

'P' तरंगे (प्राइमरी तरंग)

• भूकंप के सबसे पहले भी तिरंगे की उत्पत्ति होती है। पृथ्वी की सतह पर सबसे पहले P तरंगों का ही अनुभव होता है इसे 'प्राथमिक तरंगे' (Primary Waves) भी कहते है।
• P तरंगे ठोस तरल एवं गैस यह तीनों माध्यमों में गमन करती है लेकिन इसका वेग ठोस, तरल एवं गैस में कम से कम होता जाता है।
• P तिरंगे की गति सबसे तेज तथा तीव्रता सबसे कम होती है।

'S' तरंगे (सेकंडरी तरंग)

• P तरंगों के पश्चात इस तरंगे पृथ्वी की सतह पर पहुंचती है यही कारण है कि इन्हें 'द्वितीय तरंग' (Secondary Waves) अथवा 'गौन तरंग' भी कहते हैं।
• इसकी गति P से कम एवं L तरंग से अधिक होती है एवं तीव्रता P से अधिक एवं L तरंग से कम होती है।
• S तरंग केवल ठोस मध्य में गमन करती है।

'L' तरंगे (लव तरंग)

• L तरंग को लव वेव (Love Waves) भी कहते हैं इसका नमकरण वैज्ञानिक एडवर्ड हाफ लव के नाम पर किया गया है।
• इस तरंग की गति सबसे (P एवं S से) काम होती है अतः यह तरंगे पृथ्वी की सतह पर P तथा S के पश्चात प्रकट होती है।
• इस तरह की तीव्रता P एवं S से अधिक होती है तथा सर्वाधिक विनाशकारी होती है।


भूकम्प की तीव्रता

  • रिक्टर पैमाना : रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है इस पैमाने का विकास 1945 ईस्वी में अमेरिका के भू वैज्ञानिक चार्ल्स फ्रांसीसी रिक्टर द्वारा किया गया था। इस पैमाने पर भूकंप के वेग में 1 अंक की वृद्धि 10 गुना अधिक तीव्रता को प्रदर्शित करती है।

  • मरकेली पैमाना : इसमें भूकंप का मापन भूकंप द्वारा होने वाली क्षति के आधार पर किया जाता है इसका उपयोग नहीं किया जाता है।


भूकंप के प्रकार (Types of Earthquake)

भूकंप के प्रकार की बात करें तो इसे दो भागों में विभाजित किया जाता है - 1. भूकंप मूल की गहराई के आधार पर, 2. उत्पत्ति के कारणों के आधार पर

1. भूकंप मूल की गहराई के आधार पर भूकंप तीन प्रकार के होते हैं-

  • छिछले उद्गम केंद्र के भूकंप :- जिस भूकंप का भूकंप मूल्य 0 से 50 किलोमीटर की गहराई पर हो। यह भूकंप अपेक्षाकृत अधिक विनाशकारी होते हैं।
  • माध्यम उद्गम केंद्र के भूकंप :- जिस भूकंप का मूल 50 से 250 किलोमीटर की गहराई पर हो।
  • गहरे उद्गम केंद्र के भूकंप :- जिस भूकंप का मूल 250-700 किलोमीटर की गहराई तक हो।
नोट :- पिछले उद्गम केंद्र वाले भूकंप सामान्यत: कम (1 से 5 मैग्नीट्यूड) परिणाम जबकि गहरे उद्गम केंद्रों वाले भूकंप सामान्यत: अधिक परिणाम (6-8 मैग्नीट्यूड) वाले होते हैं।


2. उत्पत्ति के आधार पर भूकंप को कई रूप में वर्गीकृत किया गया है जो निम्नलिखित हैं-

  • सामान्य भूकंप भूकंप आया विवर्तनिक भूकंप (Tectonic Earthquake) :- यह भूकंप भ्रंस तल के किनारे चट्टानों के सड़क जाने के कारण उत्पन्न होते हैं।
  • ज्वालामुखी जन्य भूकंप (Volcanic Earthquake) :- यह भूकंप ज्वालामुखी के उत्पन्न होने से होता है। यह भूकंप अधिकांश का सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक सीमित रहते हैं।
  • नियात भूकंप (Collapse Earthquake):- खनन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्याधिक खनन कार्य से भूमिगत खानों की छत ढह जाती है जिससे हल्के झटके महसूस किए जाते हैं।
  • विस्फोटक भूकंप (Explosion Earthquake):- यह भूकंप परमाणु या रासायनिक विस्फोटों के कारण से उत्पन्न होता है।
  • बांध जनित भूकंप (Reservoir Earthquake):- यह भूकंप बड़े बांधों को टूटने से उत्पन्न होते हैं।

भूकंप के कारण (Causes of Earthquake)

भूकंप आने के निम्नलिखित कारण इस प्रकार हैं:-

प्राकृतिक कारण (Natural causes)

  • ज्वालामुखी क्रिया
  • गैसों का फैलाव
  • भ्रांश
  • प्लेट विवर्तनिक

मानव जनित कारण (Anthropogenic causes)

  • खनन किया जिसमें जीवाश्म ईंधन एवं अन्य खनन
  • भूमिगत जल का निष्कर्षण
  • बांधों का निर्माण
  • परमाणु विस्फोट में भूमिगत परमाणु परीक्षण आदि

अन्य कारक (Other factors)

  • उल्कापात
  • पृथ्वी के घूर्णन या परिभ्रमण के अंतर्गत अन्य आकाशीय पिंड के कारण पृथ्वी पर प्रभाव से होने वाली हलचल

भूकंप के प्रभाव (Effects of Earthquake)

भूकंप को उसके विनाशकारी प्रभाव के कारण मानव के लिए अभिशाप माना जाता है लेकिन भूकंप के कुछ लाभकारी प्रभाव भी होते हैं।

विनाशकारी प्रभाव

  • नगरों का नष्ट होना एवं जानमाल की क्षति;
  • आधारभूत संरचना वजह से पुल, रेल पटरियां, भवन आदि की क्षति;
  • भूकंप के कारण भूस्खलन, बाढ़, आग लगना जैसी आकस्मिक दुर्घटना;
  • समुंद्री भाग में भूकंप आने से सुनामी जैसी आपदा आ जाना।


लाभकारी प्रभाव

  • भूकंप से घाटों का निर्माण होता है जिसमें जल का तिल होने से जिलों का निर्माण होता है;
  • सागर के तटीय भागों में भूकंप क्रियाओं के कारण निर्मित खड़िया प्रकृतिक बंदरगाहों के लिए उचित स्थान प्रस्तुत करती है;
  • ज्वालामुखी भूकंप से नए धरातलीय क्रस्ट का निर्माण होता है;
  • भूकंप लहरों द्वारा पृथ्वी की आंतरिक बनावट के विषय में जानकारी प्राप्त होती है।


भूकंप से बचने के उपाय (Earthquake prevention measures)

  • अगर आप किसी बिल्डिंग के अंदर से लिफ्ट में हो तो उसे तुरंत उतर जाए ऐसी स्थिति में बिल्डिंग से उतरने के लिए सीढ़ियां का इस्तेमाल होता है।
  • घर की इलेक्ट्रिसिटी करंट को ऑफ कर दें और हर इलेक्ट्रॉनिक सामान का पलक बिजली के सॉकेट से बाहर निकाल दें।
  • अगर घर या बिल्डिंग के अंदर फंस जाएं तो घर में रखे में मेज, चौकी, डेस्क के अंदर छुप जाए।
  • सबसे रखने वाली बात यह है कि ऐसी स्थिति में बिल्कुल अपने आप को शांत रखने की कोशिश करें घबराने की वजह यह सोचे कि इस स्थिति से बाहर कैसे निकले क्योंकि ऐसी स्थिति में लोगों को आपा होने की वजह से नुकसान काफी अधिक होता है।
  • यदि आप उस समय कार चला रहे हैं तो चला रहे हैं तो कार धीमी करें और एक खाली स्थान पर ले जाकर पार्क कर दें। तब तक कार में बैठे रहे जब तक झटके खत्म नहीं हो जाए।
  • अगर आप कहीं अंदर फंस गए हैं तो दौड़े नहीं इससे और भी झटके लग सकते हैं।
  • पेड़ों और बिजली के तारों से दूर रहने की कोशिश करें।
  • अगर आप बाहर सड़क पर या बाजार में हो तो पास में मैदान या खुली जगह में पहुंच जाए।
  • लिफ्ट का उपयोग न करें क्योंकि अचानक बिजली जाने से आप हंस सकते है।

भूकंप का प्रबंधन (Earthquake Management)

भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करना तथा भूकंप को रोकना असंभव है परंतु भूकंप का प्रबंधन करके इससे होने वाली क्षति को अवश्य कम किया जा सकता है भारत में भूकंप प्रबंधन के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं :-
  • भारत मौसम विभाग द्वारा भूकंप की क्रियाविधि पर निगरानी रखी जाती है।
  • भारत में भूकंप क्षेत्रों का निर्धारण किया गया है।
  • भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा भूकंप रोधी भवन निर्माण मानकों का निर्धारण किया गया है।
  • भूकंप अभियंत्रिकी (Earthquake engineering) की शिक्षा की व्यवस्था की गई है।
  • जन जागरूकता के प्रसार के लिए शैक्षणिक अभियान तथा जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहे हैं।
  • भूकंपीय गतिविधियों और भूकंपीय तरंगों के अध्ययन एवं विश्लेषण की दिशा में अनुसंधान किया जा रहा है।

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों, आज इस लेख भारतीय भूगोल सामान्य ज्ञान के भूकंप से संबंधित आपके मन में चल रहे सारे सवालों जैसे भूकंप किसे कहते हैं भूकंप कितने प्रकार के होते हैं भूकंप के प्रभाव क्या होता है | भूकंप से बचने के उपाय क्या-क्या हैं |भूकंप का प्रबंधन, का जवाब मिल गया होगा। अगर ऐसे ही कोई अन्य सवाल आपके मन में चल रहे हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं हम उस पर एक विस्तार से लेख लिखने का जरूर प्रयास करेंगे धन्यवाद...

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