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उच्च न्यायालय की शक्तियां एवं क्षेत्र अधिकार |
उच्च न्यायालय की शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार यह यह व्यवस्था की गई हैं कि 'प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा' परंतु, संसद विधि बनाकर दो या दो से अधिक राज्यों अथवा किसी संघ शासित प्रदेशों के लिए एक ही उच्च न्यायालय स्थापित कर सकता है।
उच्च न्यायालय राज्य न्यायपालिका के शीर्ष पर स्थित है। जो एक अभिलेख न्यायालय भी हैं, जिसकी अवमानना पर किसी को दंडित किया जा सकता है।
भारत में उच्च न्यायालयों (High Court) की संख्या :-
- वर्तमान में भारत में उच्च न्यायालयों की संख्या 25 है। भारत का पहला उच्च न्यायालय 1862 ई. में मुंबई में स्थापित किया गया था, जबकि देश का 25वां उच्च न्यायालय आंध्र प्रदेश के अमरावती में 1 जनवरी, 2019 ई. को तेलंगाना हाई कोर्ट के रूप में स्थापित किया गया।
- सांसद विधि बना कर केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक अलग उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है।
- पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय है जो चंडीगढ़ उच्च न्यायालय क्षेत्र अधिकार के अंतर्गत आता है।
- नागालैंड,मेघालय,मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा के लिए भी एक ही उच्च न्यायालय है जो गुवाहाटी उच्च न्यायालय क्षेत्र अधिकार के अंतर्गत आता है।
- केंद्र शासित राज्य दिल्ली का अपना एक अलग उच्च न्यायालय है।
- इसी प्रकार केंद्र शासित राज्य पांडिचेरी को चेन्नई उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत रखा गया है।
भारतीय उच्च न्यायालयों (हाई कोर्ट) की गठन :-
- प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों से मिलकर किया जाता है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के अनुच्छेद 217 के द्वारा होती है। भिन्न-भिन्न उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या अलग-अलग होती है।
- उच्च न्यायालयों (High Court) का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214, अध्याय 5, भाग 6 के अंतर्गत किया गया है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 216 के तहत प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा एक अन्य न्यायाधीश से मिलकर होता है जो समय समय पर राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
- उच्च न्यायालय न्यायिक प्रणाली के रूप में, राज्य के विधायकों और अधिकारियों के संस्थाओं से स्वतंत्र हैं।
उच्च न्यायालय की न्यायाधीशों की योग्यताएं :-
उच्च न्यायालय की न्यायाधीशों के लिए अनिवार्य योग्यता होनी चाहिए :-
- वह भारत का नागरिक हो।
- भारत के राज्य क्षेत्र में कम से कम 10 वर्ष तक न्यायाधीश के पद पर कार्य कर चुका हो ।
- अथवा किसी उच्च न्यायालय में या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो।
उच्च न्यायालय की न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा स्थानांतरण :-
नियुक्ति
- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श लेकर भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 217 के द्वारा किया जाता है।
- इसी प्रकार उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति, राज्य के मुख्य न्यायाधीशों की सलाह लेकर करता है।
- राष्ट्रपति आवश्यकता अनुसार किसी भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि कर सकता है अथवा अतिरिक्त न्यायाधीशों की भी नियुक्ति कर सकता है।
- राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के किसी अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों को भी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का अनुरोध कर सकता है।
स्थानांतरण
- भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श कर राष्ट्रपति अनुच्छेद 222 के तहत उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश का स्थानांतरण किसी दूसरे उच्च न्यायालय में कर सकता है।
उच्च न्यायालय (High Court) की न्यायाधीशों के वेतन व भत्ते :-
- उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन व भत्ते उस राज्य के संचित निधि से दिए जिस राज्य में कार्यरत हैं।
- वर्तमान में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की वेतन ₹250000 प्रतिमाह तथा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों का वेतन ₹225000 प्रतिमाह प्राप्त होता है।
- इससे पहले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन ₹90000 प्रतिमाह तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन ₹80000 प्रतिमा प्राप्त होता था।
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को सरकार के द्वारा सरकारी आवास, कार और सफाईकर्मी व अन्य भत्ते भी दिया जाते हैं
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल :-
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष है।
- किसी न्यायाधीश को उसे कार्यकाल से पूर्व कदाचार और क्षमता के आधार पर उसी रीति से हटाया जा सकता है जिस प्रकार से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है अर्थात महाभियोग प्रक्रिया द्वारा।
- अगर कोई न्यायाधीश अपने समय से पहले (कार्यकाल) त्यागपत्र देना चाहता है तो राष्ट्रपति को संबोधित कर अपना त्यागपत्र सौंप सकता है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर प्रतिबंध :-
- जो न्यायाधीश जिस उच्च न्यायालय में स्थाई न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है वह उसी न्यायालय में वकालत नहीं कर सकता। किंतु वह किसी दूसरे उच्च न्यायालय में अथवा उच्चतम न्यायालय में वकालत कर सकता है।
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उच्च न्यायालय(High Court) की कार्य, शक्ति एवं |
उच्च न्यायालय की शक्ति व क्षेत्राधिकार :-
किसी राज्य के उच्च न्यायालय कि क्षेत्राधिकार उस राज्य के विभागीय सीमा तक होती है लेकिन यदि संसद दो या उससे अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय के गठन करती है तो उन सभी राज्यों की विभागीय सीमाओं तक उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र होता है। इसके अतिरिक्त संसद किसी उच्च न्यायालय की अधिकार क्षेत्र का विस्तार किसी संघ शासित प्रदेश पर कर सकती है।
उच्च न्यायालय के निम्न अधिकार क्षेत्र प्राप्त है।
- प्रारंभिक क्षेत्राधिकार
- अपीलीय क्षेत्राधिकार
- अंतरण संबंधित क्षेत्राधिकार
- प्रशासकीय क्षेत्राधिकार
प्रारंभिक क्षेत्राधिकार
- उच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को परिवर्तित कराने, सांसद तथा राज्य विधानसभा के चुनाव तथा राजस्व संबंधित मामलों में आरंभिक अधिकार प्राप्त होता है।
- संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की विस्तृत अधिकार प्राप्त है।
- उच्चतम न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति केवल मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की दशा में ही प्राप्त है, जबकि उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में तो रिट जारी कर ही सकता है, इसके अतिरिक्त सामान्य कानूनी अधिकारों के मामले में भी रिट जारी कर सकता है।
अपीलीय क्षेत्राधिकार
- उच्च न्यायालय को अपनी अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध दीवानी तथा फौजदारी दोनों प्रकार के मामलों में अपील सुनने की अधिकार प्राप्त है।
- दीवानी मामलों में यदि अधीनस्थ न्यायालयों को ऐसा लगता है कि मामले के निपटारे के लिए किसी कानून की वैधता की जांच करने और उसकी व्याख्या करने की जरूरत है, तो ऐसे मामलों को वे उच्च न्यायालय में भेजने का कार्य करते हैं।
- फौजदारी मामलों में यदि किसी सत्र न्यायाधीश अथवा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 7 वर्ष से अधिक की कैद की सजा सुनाई है, तो उसके निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
- यदि किसी मामले में जिले के सत्र न्यायाधीश ने किसी अभियुक्त को फांसी की सजा दी हो तो उच्च न्यायालय द्वारा इसका अनुमोदन कार्य करना आवश्यक होता है।
अंतरण संबंधित क्षेत्राधिकार
- उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित किसी मामले को अपने पास मंगा सकता है, यदि उसे ऐसा लगे कि उसमें संविधान की व्याख्या का प्रश्न निहित है।
- उच्च न्यायालय को अपने अधीनस्थ न्यायालयों के निरीक्षण तथा नियंत्रण की शक्ति प्राप्त है।
- उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों के लिए समय-समय पर नियम बना सकता है तथा उन्हें निर्देश दे सकता है।
- राज्यपाल द्वारा जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति उच्च न्यायालय के परामर्श पर ही की जाती है
प्रशासकीय क्षेत्राधिकार
- उच्च न्यायालयों को अपने अधीनस्थ न्यायालयों में नियुक्ति, पदवानती, पदोन्नति तथा छुट्टियां के संबंध में नियम बनाने का अधिकार है।
नोट :- उच्च न्यायालय राज्यों में अपील का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है। राज्य सूची से संबंध विषयों में भी उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है।
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Uchch nyayalay ki shaktiyan mein Adhikar chetra । uchch nyayalaya ke karya High Court in Hindi । Uchch nyayalaya ki sankhya kya hai । Uchch nyayalaya ka gathan in Hindi । mujhe nikala ke gathan karya Shakti AVN Adhikar Kshetra।
पढ़े:-
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1 Comments
Bahut achha helpful
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