दोस्तों आज इस लेख के माध्यम से 1857 की क्रांति को विस्तार से जानकारी प्राप्त करने वाले हैं। इस आर्टिकल में 1857 की क्रांति की परिचय | 1857 की क्रांति की शुरुआत कैसे हुई | 1857 की क्रांति के कारण | 1857 की क्रांति का परिणाम तथा 1857 की क्रांति की असफलता के कारण के बारे में जानेंगे। साथ ही साथ आप यहां से 1857 की क्रांति का PDF NOTES भी Download कर सकेंगे।


1857 की क्रांति की संक्षिप्त परिचय

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जैसा कि हमें मालूम है 1750 ई. से 1850 ई. तक की 100 वर्षों की अवधि में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को उपनिवेश में बदलने के लिए विभिन्न उपाय किए। इस अवधि में अनेक नीतियां अपनाई, अनेक भू-राजस्व प्रयोग किए गए जिसके कारण किसानों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस तरह से किसानों तथा आदिवासी लोगों ने कई दु:खों का भी सामना करना पड़ा। इसके बाद 1857 में विभिन्न जाति धर्म और वर्ग के लोग एकजुट होकर अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति की शुरुआत कर दी। जो कि यह क्रांति, 1857 की क्रांति के रूप में जाना गया।


1857 की क्रांति की शुरुआत

  • 1857 की क्रांति की शुरुआत 29 मार्च, 1857 को मंगल पांडे के द्वारा बैरकपुर छावनी से किया गया। 10 मई, 1857 को मेरठ के सिपाहियों ने विरोध किया
  • मेरठ से विद्रोही सैनिक ने दिल्ली मार्च का 11 मई, 1857 को बहादुर शाह जफर को भारत का बादशाह घोषित किया।
  • मेरठ के सैनिकों का नेतृत्व बख्ता खान ने किया किया, धीरे-धीरे 1857 ई. का विद्रोह देश के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया।
  • कानपुर में 5 जून, 1857 को विद्रोह की शुरुआत हुई। यहां पर पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब ने विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया, जिसमें उनकी सहायता तात्या टोपे ने की।
  • लखनऊ में 4 जून, 1857 को विद्रोह की शुरुआत हुई। बेगम हजरत महल ने अपनी अल्पायु पुत्र बिरजिस कादिर को नवाब घोषित किया तथा लखनऊ स्थित ब्रिटिश रेजिडेंसी पर आक्रमण किया।


1857 की क्रांति के कारण

1857 की क्रांति होने के निम्नलिखित कारण थे जिनमें से मुख्य कारण भारतीय सैनिकों को चर्बी युक्त कारतूस प्रयोग करने की सलाह, लॉर्ड डलहौजी के राज हड़प नीति तथा ईसाई धर्म के प्रचार भारतीयों में असंतोष का मुख्य कारण था।
लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति और लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि ने 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • राजनीति कारणों के साथ ही प्रशासनिक कारण भी क्रांति के लिए उत्तरदाई थे। इस समय कोई भारतीय उच्च पद तक नहीं पहुंच सकता था।
  • ईसाई धर्म के प्रचार में भारतीयों के असंतोष को उभारा।
  • 1857 की क्रांति में अंग्रेजों द्वारा भारत का आर्थिक शोषण भी एक प्रमुख कारण था। भारतीय सैनिक भू-राजस्व नीति के कारण दु:खी थे।
  • सैनिक कारणों में ऐसे अनेक बिन्दु विधमन्न थे जो विद्रोह की पृष्ठभूमि के तैयार कर रहे थे। पदोन्नति से वंचित रखना, भारत की सीमाओं के बाहर युद्ध के लिए भेजा जाना तथा देश के बाहर जाने पर अतिरिक्त भत्ता नहीं देना इत्यादि भी 1857 की क्रांति में कारण थे ।
  • मुगल बादशाह चुकी भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व करता था इसीलिए उसके अपमान में जनता ने अपना अपमान महसूस किया और विद्रोह के लिए मजबूर हुए।
  • चर्बीयुक्त करतूसो के प्रयोग की बात से सैनिकों में आक्रोश पैदा हुआ। यह 1857 की क्रांति का तत्कालीन कारण था।
  • प्लासी के युद्ध के बाद निरंतर भारत का शोषण होता रहा जो शायद जन असंतोष का सबसे महत्वपूर्ण कारण था। इन सभी कारणों को देखते हुए अंततः भारतीय ने 1857 में क्रांति की शुरुआत की।

1857 की क्रांति के असफलता का कारण

1857 की असफलता के कई कारण थे जो निम्नलिखित है:-
  • विद्रोहियों में नेतृत्व की कमी थी। संगठन तथा एकता का अभाव था।
  • विद्रोहियों के पास सीमित हथियार एवं बम - बारूद का होना।
  • ग्वालियर के सिंधिया, इंदौर के होल्कर, हैदराबाद के निजाम आदि राजाओं ने अंग्रेजों का खुलकर साथ दिया।
  • 1857 के असफलता होने के तत्काल बाद ब्रिटिश क्रॉउन ने कंपनी से भारत पर शासन करने के सभी अधिकार वापस ले लिए।
  • विद्रोहियों के बारे में जॉन लॉरेंस ने कहा कि यदि विद्रोहियों में एक भी योग नेता रहा होता तो हम सदा के लिए हार जाते।
  • 1858 के भारतीय परिषद अधिनियम द्वारा भारत में कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया। इसके बाद से भारत का गवर्नर जनरल वायसराय कहा जाने लगा।

1857 की क्रांति के परिणाम

  • अंततः ब्रिटिश सरकार ने 1857 की क्रांति को कुचलने में सफल रही, लेकिन इससे भारत के लोगों में असंतोष के बारे में भी ब्रिटिश सरकार को पता लग गया। 
  • ऐसी विद्रोह भविष्य में न हो, उसे रोकने की पूरी रणनीति अपनाई। 
  • 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार ने स्थानीय राजाओं के विश्वास को जीतने का प्रयास किया और मौजूदा कब्जे वाले क्षेत्र का और विस्तार न करने का घोषणा किया। 
  • सैनिकों की एकता को रोकने के लिए फौज में भर्ती करने में संप्रदाय, जाति, जनजाति और क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया।
  • ब्रिटिश सरकार ने जाति धर्म और भारतीय क्षेत्रीय पहचान का चतुराई से उपयोग करते हुए 'फूट डालो और शासन करो' की नीति अपनाई।
  • 1857 की क्रांति का दूसरा महत्वपूर्ण परिणाम 1858 में शाही घोषणा पत्र की उद्घोषणा था।
  • 1857 की क्रांति के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करते हुए भारत प्रशासन सीधे तौर पर ब्रिटिश राज के अधीन कर दिया गया।

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निष्कर्ष (Conclusion):-

इस लेख में हमने यह जाना कि ब्रिटिश शासन की स्थापना से भारत ब्रिटिश साम्राज्य का उपनिवेश बन गया। ग्रामीण समाज पर अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ा, भूमियों से बेदखल किए जाने से किसान अपनी स्वयं की भूमि पर ही मजबूर बन गए, विभिन्न प्रकार के करो ने उनके जीवन को और अधिक दु:खी बना दिया, ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं का आयात के कारण लघु उद्योग के मालिकों को कारखाने बंद करने पड़े। 1857 की क्रांति इसलिए अद्वितीय माना जाता है कि जाति, समुदाय और वर्ग की सीमाओं को समाप्त कर भारतीयों ने पहली बार ब्रिटिश शासन को संगठित रूप से चुनौती दिया। हालांकि इस प्रयास में असफल तो जरूर रहें लेकिन भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार को देशहित के प्रति अपनी नीति को मनवाने पर मजबूर किया।