प्रिय पाठकों! माय नियर एग्जाम डॉट इन आपका स्वागत है। मुख्यमंत्री की नियुक्ति शक्तियां एवं कार्य से संबंधित मुख्यमंत्री की नियुक्ति, मुख्यमंत्री एवं मंत्रीपरिषद के बीच संबंध तथा मुख्यमंत्री के कार्यकाल आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे

28 राज्य और 7 केंद्रशासित राज्य वाला देश में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A हटने के बाद दो नए राज्य लद्दाख तथा जम्मू व कश्मीर सहित केंद्र शासित राज्यों की संख्या 9 हो गई है। इस तरह से भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 9 केंद्र शासित राज्य हो गए हैं। 

मुख्यमंत्री की नियुक्ति शक्तियां एवं कार्य, mukhymantri ki niyukti, mukhymantri ki shaktiyan avan karya

देश के 9 केंद्रशासित राज्य में से केवल 3 केंद्र शासित राज्यों में मुख्यमंत्री होता है। इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास वह सभी शक्तियां प्राप्त नहीं है जो अन्य राज्यों के पास है। जैसे - पुलिस, भूमि एवं पब्लिक ऑर्डर इत्यादि यह सभी केंद्र सरकार के अंतर्गत काम करती है। आइए जानते हैं कि राज्य के मुख्यमंत्रियों के पास कौन-कौन सी शक्तियां एवं कार्य होती है।


मुख्यमंत्री की नियुक्ति शक्तियां एवं कार्य

संसदीय शासन व्यवस्था में मुख्यमंत्री ही शासन का प्रमुख प्रवक्ता होता है और मंत्रीपरिषद ओं की बैठकों की अध्यक्षता करता है। वैसे संवैधानिक प्रमुख के रूप में राज्य में 'राज्यपाल' तथा वास्तविक प्रमुख के रूप में 'मुख्यमंत्री' कार्य करता है।

वास्तव में राज्यपाल की समस्त शक्तियों का उपयोग मुख्यमंत्री ही करता है।

जब कभी राज्यपाल को कोई बात या निर्णय मंत्रियों तक पहुंचाना चाहता है तो वह मुख्यमंत्री के द्वारा ही यह कार्य करता है।


मुख्यमंत्री एवं मंत्रीपरिषद 

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 163 (1) के तहत राज्यपाल को अपने कार्यों का संपादन करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रीपरिषद का गठन होती है, जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होता है।
  • मंत्रीपरिषद के सभी सदस्य  विधानसभा के प्रति उत्तरदाई होता है।
  • मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री के परामर्श पर की जाती है। मुख्यमंत्री, मंत्रियों के चयन तथा उसके बीच विभागों के वितरण कार्य में स्वतंत्र होता है।
  • कोई मंत्री 6 माह तक बिना किसी सदन की सदस्यता ग्रहण किए बिना उस राज्य का मुख्यमंत्री या मंत्री बना रह सकता है, तत्पश्चात या तो उसे किसी सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होती है अन्यथा उसे अपने पद को त्याग देना पड़ता है।


मुख्यमंत्री की नियुक्ति 

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (1) के अंतर्गत मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है  तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करता है। इस मंत्रीपरिषद के गठन में शामिल सभी मंत्री  राज्यपाल के प्रसादपर्यंत (राज्यपाल जब चाहे तब तक) अपना पद ग्रहण करते हैं।
  • राज्यपाल विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री न्युक्ति करता है। लेकिन यदि विधानसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं है तो राज्यपाल सबसे बड़े दल के नेता को मुख्यमंत्री न्युक्ति  करके एक निश्चित अवधि के भीतर बहुमत साबित करने का समय देता है।
  • मुख्यमंत्री राज्य विधानसभा का सदस्य होता है और यदि विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल ऐसे व्यक्ति को अपना नेता चुनता है जो विधानसभा का सदस्य नहीं है, तो उसे 6 महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता प्राप्त करनी होती है अन्यथा उसे मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ता है।
नोट :- 91वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के अनुसार मुख्यमंत्री सहित संपूर्ण मंत्रीपरिषद का आकार राज्य की विधानसभा की कुल सदस्यों की संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री सहित संपूर्ण मंत्रिपरिषद की कुल संख्या 12 से कम नहीं होनी चाहिए।


मुख्यमंत्री एवं मंत्रीपरिषद का कार्यकाल

  • मंत्रीपरिषद का गठन 5 वर्षों के लिए किया जाता है लेकिन उसका कार्य अवधि विधानसभा में उसके प्रति विश्वास पर निर्भर करता है।
  • राज्य मंत्री परिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदाई होता है और यदि मंत्री परिषद ने विधानसभा के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया हो तो मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है।
  • मुख्यमंत्री की अपने पद से त्याग दे देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है। उस स्थिति में पूरा मंत्रिमंडल बर्खास्त हो जाता है।
  • यदि मंत्रीपरिषद संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असफल हो जाता है तो राष्ट्रपति राज्यपाल की रिपोर्ट पर राज्य मंत्रीपरिषद को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 156 के अनुसार) लागू कर सकता है। 


मुख्यमंत्री की शक्तियां एवं कार्य

  • मुख्यमंत्री, मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा करवाता है तथा उन मंत्रियों को जोड़कर रखता है। किसी भी तरह के मतभेद उत्पन्न होने पर उनके मध्य समन्वय करता है।
  • मुख्यमंत्री विधानसभा का नेता होता है और विधानमंडल तथा राज्यपाल, मंत्रीपरिषद तथा राज्यपाल के मध्य संपर्क सूत्र का कार्य करता है।
  • राज्यपाल द्वारा किए जाने वाले सभी नियुक्ति संबंधित कार्य मुख्यमंत्री की सलाह पर संचालित होता है।
  • मुख्यमंत्री राज्य का नेता होता है। राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की जनता की ओर से प्रतिनिधित्व का कार्य करता है।
  • मुख्यमंत्री राज्य के लिए नीति निर्माण के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य का समस्त दायित्व उसी के कंधों पर होता है।
  • मुख्यमंत्री राज्य मंत्रीपरिषद का अध्यक्ष होता है तथा मंत्रीपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता वही करता है लेकिन मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में राज्य मंत्री परिषद की बैठकों की अध्यक्षता कार्य मंत्रीपरिषद के किसी वरिष्ठ सदस्य द्वारा की जाती है।
  • मुख्यमंत्री राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्य एवं राज्य महाधिवक्ता आदि का चयन में राज्यपाल को अपना परामर्श देता है।

  • मुख्यमंत्री के परामर्श के बिना राज्यपाल राज्य विधानसभा को भंग तथा किसी मंत्री को अपदस्थ नहीं कर सकता है।


निष्कर्ष (Conclusion) :-

दोस्तों यह पूरी लेख पढ़ने के बाद आप इस निष्कर्ष पर पहुंचे होंगे कि जिस तरह से केंद्र में प्रधानमंत्री का कर्तव्य, कार्य एवं अन्य शक्तियां प्राप्त है, ठीक उसी तरह से राज्य में मुख्यमंत्री की कर्तव्य, कार्य एवं शक्तियां प्राप्त है। हां कुछ मामलों में मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री से अलग है। जिस तरह से केंद्र में प्रधानमंत्री कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान होता है, उसी तरह से मुख्यमंत्री राज्य के विधायिका का वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री होता है।

मुख्यमंत्री और मंत्रीपरिषद की नियुक्ति शक्तियां एवं कार्य से संबंधित यह यह आर्टिकल आपको कैसा लगा हां और इसमें कुछ त्रुटि रह जाती है हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट कर जरूर बताएं धन्यवाद..